SILVER RECOVERY FROM WASTE FIXER
SILVER RECOVERY FROM WASTE FIXER
Waste photographic film में 1.5 से 2.0 पर्सेंट तक ब्लैक मैटेलिक सिल्वर होता है | जिसको रिकवर किया जाता है तथा उपयोग में लिया जाता है | सिल्वर एक कीमती धातु होती है, तथा इसका ज्वेलरी, डेंटिस्ट्री, फोटोग्राफी, मिरर्स, ऑप्टिकस तथा इंडस्ट्रीज में बहुत ही व्यापक रूप से उपयोग होता है |
अतः सिल्वर की रिकवरी इंडस्ट्रियल, केमिकल व इकोनॉमिकल रूप से फायदेमंद होती है |एक फोटोग्राफी फिल्म की कीमत का अधिकांश भाग सिल्वर का होता है | प्रत्येक फिल्म वो चाहे फोटोग्राफिक फिल्म हो या एक्सरे फिल्म, प्रत्येक पर सिल्वर की पतली परत चढ़ी होती है |
इमेज फॉरमेशन के दौरान सिल्वर का कुछ भाग फिक्सिंग सॉल्यूशन में आ जाता है | जैसे जैसे इस सोल्युशन में बहुत सारी फिल्में प्रोसेस की जाती है, फिल्म से सिल्वर का एक बहुत बड़ा भाग फिक्सिंग सॉल्यूशन में घुल जाता है | जब यह सिल्वर फिक्सिंग सॉल्यूशन में सचुरेशन लेवल तक पहुंच जाती है तो उसके बाद इस सलूशन में आगे फिल्म की फिक्सिंग नहीं की जा सकती है | हाइपो या फिक्सिंग सॉल्यूशन में सिल्वर की कंसंट्रेशन प्रोसेस टू प्रोसेस और टाइम टू टाइम पर निर्भर करती है |
फिल्म प्रोसेसिंग के दौरान फिल्म पर उपस्थित सिल्वर, हाइपो से क्रिया करके सिल्वर थायोसलफेट आयन कंपलेक्स आयन बनाता है | यह सिल्वर को ट्रैप कर लेता है | सिल्वर रिकवरी के दौरान इस कंपलेक्स आयन से सिल्वर को हटाया जाता है |
हाइपो सॉल्यूशन में सिल्वर बहुत अधिक मात्रा में होता है | यह 6 से 10 ग्राम पर लीटर की मात्रा में उपस्थित होता है | इसकी सांद्रता को सिल्वर ऐस्टीमेशन पेपर की सहायता से जांचा जा सकता है | यह सिल्वर टेस्टिंग प्रोसेस बहुत ही सिंपल होता है | इसमें एक छोटे सिल्वर ऐस्टीमेशन पेपर को हाइपो सॉल्यूशन में डुबोते हैं, जिससे इसके कलर में परिवर्तन होता है | इस परिवर्तित रंग की तुलना पहले से दिए गए कलर चार्ट से कर ली जाती हैं | इस तरीके से सिल्वर कंसंट्रेशन ग्राम पर लीटर में प्राप्त होती है, तथा यह प्रोसेस 10 सेकंड से भी कम समय का होता है |
हाइपो से सिल्वर एक्सट्रैक्शन करने के कई तरीके होते हैं-
Chemical Method
इसके लिए सबसे पहले सिल्वर ऐस्टीमेशन पेपर की सहायता से सिल्वर की सांद्रता ग्राम पर लीटर में पता कर लेते हैं | अब इस वेस्ट फ़िक्सर का 1 लीटर सॉल्यूशन लेते हैं | इसमें इतनी ही मात्रा में सोडियम सल्फेट, सोडियम सल्फाइड तथा कास्टिक सोडा डालते हैं | अब इस सलूशन से कॉमन आयन प्रभाव के आधार पर सिल्वर अलग हो जाती है | सिल्वर एक ब्लैक रेसिड्यू के रूप में तली पर बैठ जाती है | तथा ऊपर का सॉल्यूशन पीले रंग का होता है | इसे फिल्टर पेपर की सहायता से छान लिया जाता हैं, तथा नीचे के ब्लैक रिजर्व को सुखा लेते हैं | तथा इसे भट्टी में पिघला लिया जाता है | पिघलाने के दौरान इसमें बोरेक्स पाउडर, सोडियम कार्बोनेट तथा कैलशियम कार्बोनेट डाला जाता हैं | इस तरीके से एक चमकदार सिल्वर धातु प्राप्त होती है |
Electrolytic Method
यह सिल्वर रिकवरी का दूसरा तरीका है | इस पद्धति के द्वारा सेमी ऑटोमेटिक या फुली ऑटोमेटिक मशीन के द्वारा सिल्वर एक्सट्रेक्ट किया जा सकता है | इस मशीन में एक बड़ा टैंक होता है जिसमे दो इलेक्ट्रोड,एनोड तथा कैथोड लगे होते है | इसमें काम में लिया जाने वाला एनोड, कार्बन या ग्रेफाइट का बना होता है, तथा कैथोड एक बड़ी स्टेनलेस स्टील या दूसरी मिश्र धातु की प्लेट का बना होता है | यह दोनों टैंक में लगे होते हैं, जिसमें वेस्ट फ़िक्सर सॉल्यूशन को डाला जाता है | इस मशीन को इलेक्ट्रिसिटी मशीन से कनेक्ट करके इसमें करंट प्रवाहित किया जाता है | मशीन काम करना शुरू करती है तथा सिल्वर कलेक्टिंग प्लेट पर एकत्रित होने लगता है | इस मशीन को तब तक ऑपरेट किया जाता है जब तक सारी सिल्वर कैथोड पर आकर एकत्रित न हो जाए | इसे प्लेट से कर पिघला कर ईंटो के रूप में ढाल लेते है |
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