PHOTOELECTRIC EFFECT IN DIAGNOSTIC RADIOLOGY
PHOTOELECTRIC EFFECT IN DIAGNOSTIC RADIOLOGY
Photoelectric Effect की डायग्नोस्टिक रेडियोलोजी में उपयोगिता जानने से पहले हमें PE Effect को समझना होगा, जिसकी शुरुवात शुरुवात Atomic Structure को समझने से करते हैं |
Photoelectric Effect की डायग्नोस्टिक रेडियोलोजी में उपयोगिता जानने से पहले हमें PE Effect को समझना होगा, जिसकी शुरुवात शुरुवात Atomic Structure को समझने से करते हैं |
Atom में central nucleus तथा orbital electron होते हैं | यहाँ nucleus, electron को atom में बांधे रखता हैं | नाभिक के बहार इलेक्ट्रान अलग अलग कक्षा में चक्कर लगाते हैं | सबसे अंदरूनी कक्षा K-Shell कहलाती हैं | इसके बहार वाली कक्षाये क्रमानुसार L, M, N,... Shell कहलाती हैं | हर कक्षा की सिमित इलेक्ट्रान क्षमता होती हैं, इस क्षमता से अधिक इलेक्ट्रान कक्षा में नहीं आ सकते हैं , जैसे K-Shell मैं केवल 2 इलेक्ट्रान रह सकते हैं | अगर इस से अधिक इलेक्ट्रान हो तो वो L-Shell में चले जाते हैं जिसकी 8 इलेक्ट्रान की क्षमता होती हैं | प्रत्येक Shell की एक निश्चित बंधन ऊर्जा (Binding Energy ) होती हैं |
इलेक्ट्रान जितना नाभिक के पास होता हैं वो उतना ही मजबूती से नाभिक से बंधा होता हैं | सबसे बाहरी कक्षा के एक दम ढीले बंधे होते हैं तथा इन्हे मुक्त इलेक्ट्रान (Free Electron) कहते हैं | इन कक्षाओं की ऊर्जा का मान परमाणु क्रमांक (Atomic Number) द्वारा निर्धारित होती हैं | उच्च परमाणु क्रमांक वाले अणु में K-Shell इलेक्ट्रान कम परमाणु क्रमांक वाले एटम की तुलना में ज्यादा मजबूती से बंधे होते हैं | जैसे- लेड की K-shell बंधन ऊर्जा 88 KeV होती हैं जबकि Ca की K-shell बंधन ऊर्जा केवल 4 KeV होती हैं | K-Shell के इलेक्ट्रान L-Shell के इलेक्ट्रान की तुलना में कम ऊर्जा स्तर पर होते हैं |
PHOTOELECTRIC EFFECT |
PHOTOELECTRIC EFFECT
एक आपतित फोटोन जिसकी ऊर्जा एटम के के-सेल इलेक्ट्रॉन की बंधन ऊर्जा की थोड़ी सी ज्यादा होती है से टक्कर पर करता है व इसे बाहर निकाल देता है जिससे फोटोन गायब हो जाता है तथा अपनी सारी ऊर्जा इलेक्ट्रॉन को दे देता है| फोटोन की अधिकांश ऊर्जा बंधन ऊर्जा को पार करने के काम आती है तथा अधिक ऊर्जा इलेक्ट्रॉन को गतिज ऊर्जा के रूप में प्रवर्तित हो जाती हैं तथा इलेक्ट्रान, फोटो इलेक्ट्रॉन के रूप में बाहर निकल जाता है तथा यह नेगेटिव आयन बन जाता है, इसके बाद यह तुरंत ही अवशोषित हो जाता हैं क्योंकि आवेशित कण की भेदन क्षमता बहुत कम होती है | एटम में K-Shell में इलेक्ट्रान की एक रिक्तता उत्पन्न हो जाती हैं, लेकिन यह रिक्तता केवल कुछ ही समय की होती हैं, क्योंकि तुरंत ही एक इलेक्ट्रान इस रिक्त स्थान पर टूट पड़ता हैं | यह इलेक्ट्रान साधारणतया L-Shell से आता हैं, कभी कभी M-Shell से तथा बहुत ही कम इसी एटम या दूसरे एटम का रिक्त इलेक्ट्रान इस रिक्तता को पूरी करता हैं | जैसे ही एक इलेक्ट्रान K-Shell में गिरता हैं यह अपनी ऊर्जा X ray photon के रूप में देता हैं | यह एनर्जी प्रत्येक एटम के लिए लाक्षणिक (Characteristic) होती हैं तथा उत्पन रेडिएशन लाक्षणिक रेडिएशन (Characteristic radiation) कहलाता हैं |
फोटोइलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट के सदा तीन उत्पाद होते हैं -
1. लाक्षणिक रेडिएशन (Characteristic radiation)
2. A negative ion (The photoelectron)
3. A positive ion (An atom deficient one electron)
1. आपतित फोटोन के पास इलेक्ट्रान की बंधन ऊर्जा से ज्यादा ऊर्जा होनी चाहिए | जैसे- I के K-Shell इलेक्ट्रान की बंधन ऊर्जा 33.2 KeV या इससे अधिक होनी चाहिए, 33 KeV ऊर्जा का X Ray फोटोन इस इलेक्ट्रान को बाहर नहीं निकल सकता हैं |
2. जब फोटोन की ऊर्जा तथा इलेक्ट्रान की बंधन ऊर्जा लगभग सामान होती हैं, तब फोटो इलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट होने के संभावना सर्वाधिक होती हैं | जैसे- I के K-Shell इलेक्ट्रान के साथ 34 KeV फोटोन के ज्यादा रियेक्ट होने की संभावना होती हैं बजाय 100 KeV फोटोन के | वास्तव में फोटोन एनर्जी बढ़ने के साथ साथ PE रिएक्शन तेजी से घटती हैं |
3. जितनी ज्यादा द्रढ़ता से इलेक्ट्रान कक्षा में बंधा होता हैं उतनी ही ज्यादा PE होने की संभावना होती हैं इलेक्ट्रान उच्च परमाणु क्रमांक एटम में निम्न परमाणु क्रमांक एटम की तुलना में ज्यादा ढृढ़ता से बंधा होता हैं | ज्यादातर PE क्रियाये निम्न परमाणु क्रमांक एटम में K-Shell में होते हैं क्योंकि यहाँ इलेक्ट्रान मजबूती से बंधे होते हैं | उच्च परमाणु क्रमांक एटम में आपतित फोटोन की ऊर्जा साधारणतया K-Shell से इलेक्ट्रान निकलने में अपर्याप्त होती हैं यहाँ PE रिएक्शंस L तथा M-Shell मैं होती हैं |
PE ∝ (Atomic number)3
अतः PE अलग अलग टिश्यू जो अलग अलग एटम के बने हैं के मध्य कंट्रास्ट के अंतर को बढ़ा देता हैं | जैसे की बोन तथा सॉफ्ट टिश्यू में | अतः फिल्म क्वालिटी के द्रष्टिकोण से PE आवश्यक होता हैं | पेशेंट एक्सपोज़र के द्रष्टिकोण से देखे PE अनेपक्षित होता हैं | पेशेंट को PE से अन्य किसी रिएक्शन के बजाय ज्यादा रेडिएशन रेडिएशन डोज़ मिलता हैं | PE रिएक्शन में सारी फोटोन एनर्जी पेशेंट के द्वारा अवशोषित हो जाती हैं, कॉम्प्टन इफ़ेक्ट में इलेक्ट्रान की एनर्जी का कुछ भाग ही पेशेंट के द्वारा अवशोषित होता हैं | क्योकि रेडियोलोजी में पेशेंट डोज़ को कम से कम रखना ही मुख्य लक्ष्य होता हैं, अतः इस बात को भी ध्यान में रखना होता हैं | High KvP Xray काम में लेकर भी PE रिएक्शन को काम किया जा सकता हैं |
फोटोइलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट के सदा तीन उत्पाद होते हैं -
1. लाक्षणिक रेडिएशन (Characteristic radiation)
2. A negative ion (The photoelectron)
3. A positive ion (An atom deficient one electron)
Probability of Occurance of PE
तीन साधारण नियम फोटोइलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट की सम्भावना बढ़ाते हैं |1. आपतित फोटोन के पास इलेक्ट्रान की बंधन ऊर्जा से ज्यादा ऊर्जा होनी चाहिए | जैसे- I के K-Shell इलेक्ट्रान की बंधन ऊर्जा 33.2 KeV या इससे अधिक होनी चाहिए, 33 KeV ऊर्जा का X Ray फोटोन इस इलेक्ट्रान को बाहर नहीं निकल सकता हैं |
2. जब फोटोन की ऊर्जा तथा इलेक्ट्रान की बंधन ऊर्जा लगभग सामान होती हैं, तब फोटो इलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट होने के संभावना सर्वाधिक होती हैं | जैसे- I के K-Shell इलेक्ट्रान के साथ 34 KeV फोटोन के ज्यादा रियेक्ट होने की संभावना होती हैं बजाय 100 KeV फोटोन के | वास्तव में फोटोन एनर्जी बढ़ने के साथ साथ PE रिएक्शन तेजी से घटती हैं |
3. जितनी ज्यादा द्रढ़ता से इलेक्ट्रान कक्षा में बंधा होता हैं उतनी ही ज्यादा PE होने की संभावना होती हैं इलेक्ट्रान उच्च परमाणु क्रमांक एटम में निम्न परमाणु क्रमांक एटम की तुलना में ज्यादा ढृढ़ता से बंधा होता हैं | ज्यादातर PE क्रियाये निम्न परमाणु क्रमांक एटम में K-Shell में होते हैं क्योंकि यहाँ इलेक्ट्रान मजबूती से बंधे होते हैं | उच्च परमाणु क्रमांक एटम में आपतित फोटोन की ऊर्जा साधारणतया K-Shell से इलेक्ट्रान निकलने में अपर्याप्त होती हैं यहाँ PE रिएक्शंस L तथा M-Shell मैं होती हैं |
Application of PE in Diagnostic Rsadiology
(1). यह एक्सीलेंट क्वालिटी की रेडिओग्राफिक इमेज उत्पन्न करता हैं, क्योंकि PE स्कैटर रेडिएशन (Scatter Radiation) उत्पन्न नहीं करता हैं, साथ ही यह Natural tissue contrast बढ़ाता हैं | कुछ टिश्यू के ज्यादा एक्सरे अवशोषित करने के कारण एक्सरे इमेज कंट्रास्ट उत्पन्न करते हैं | जब पास पास स्थित टिश्यू के मध्य एक्सरे अवशोषण का अंतर ज्यादा होता हैं तो ये इमेज कंट्रास्ट भी जयादा होता हैं, क्योकि PE, परमाणु क्रमांक की तीन घात के समानुपाती होता हैं |PE ∝ (Atomic number)3
अतः PE अलग अलग टिश्यू जो अलग अलग एटम के बने हैं के मध्य कंट्रास्ट के अंतर को बढ़ा देता हैं | जैसे की बोन तथा सॉफ्ट टिश्यू में | अतः फिल्म क्वालिटी के द्रष्टिकोण से PE आवश्यक होता हैं | पेशेंट एक्सपोज़र के द्रष्टिकोण से देखे PE अनेपक्षित होता हैं | पेशेंट को PE से अन्य किसी रिएक्शन के बजाय ज्यादा रेडिएशन रेडिएशन डोज़ मिलता हैं | PE रिएक्शन में सारी फोटोन एनर्जी पेशेंट के द्वारा अवशोषित हो जाती हैं, कॉम्प्टन इफ़ेक्ट में इलेक्ट्रान की एनर्जी का कुछ भाग ही पेशेंट के द्वारा अवशोषित होता हैं | क्योकि रेडियोलोजी में पेशेंट डोज़ को कम से कम रखना ही मुख्य लक्ष्य होता हैं, अतः इस बात को भी ध्यान में रखना होता हैं | High KvP Xray काम में लेकर भी PE रिएक्शन को काम किया जा सकता हैं |
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