Clavicle Radiography
Clavicle Radiography
1. Clavicle Postero - Anterior - Erect
clavicle को demonstrated करने के लिए AP position में भी किया जा सकता है | लेकिन clavicle के postero-anterior position में clavicle cassette के ज्यादा नजदीक हो जाती है जिससे अच्छी bony detail प्राप्त होती है | postero-anterior position में आँख तथा थाइरोइड ग्लैंड का रेडिएशन dose भी कम हो जाता है | इसके लिए 24×30 साइज़ की cassette का उपयोग किया जाता है |
position of patient and cassette
पेशेंट को cassette holder की तरफ मुंह करके खड़ा किया जाता है | पेशेंट की position को इस प्रकार adjust करते है की clavicle का मध्य भाग cassette के centre में आ जाये | पेशेंट के head को affected साइड से दूर किया जाता है | तथा शोल्डर को थोड़ा आगे की तरफ घुमाया जाता है जिससे की affected clavicle cassette के contact में आ जाए
Direction and centring of x-ray beam
Collimated हॉरिजॉन्टल xray बीम के centre को clavicle के मध्य तथा image receptor के centre पर रखते है |
Esential image characteristics
Image में clavicle की पूरी लम्बाई शामिल होनी चाहिए | clavicle का lateral end image में पर्दर्शित होना चाहिए तथा thoracic cage भी साफ दिखाई देना चाहिए | clavicle का कोई foreshortening(अग्रसारण) नही होना चाहिए | इस exposure में clavicle के medial तथा lateral दोनों end शामिल होने चाहिए |
2. Clavicle Infero-Superior Projection
यह projection clavicle fracture को देखने के लिए बहुत उपयोगी होता है क्यूंकि इससे fracture तथा displacement का डिग्री में आंकलन किया जा सकता है |
इस projection से clavicle का medial end clear दिखाई देता है | erect position गंभीर injury के मामले में पेशेंट के लिए अधिक आरामदायक होता है |
Position of patient and cassette
पेशेंट को xray tube की तरफ मुह करके खड़ा किया जाता है | 24×30 साइज़ की cassette को cassette holder में लगाते cassette को थोडा आगे की तरफ थोड़ा झुकाते है इतना झुकाते है जिससे की शोल्डर तथा cassette के मध्य का कोण 15 डिग्री हो जाए | ऐसा इसलिए करते है क्यूंकि central beam को cranially project करेंगे | unaffected शोल्डर को थोड़ा आगे की तरफ करते है जिससे की affected साइड की स्कैपुला cassette के contact में आ जाए | पेशेंट के head को affected साइड से दूर किया जाता है | clavicle की image को cassette के मध्य में दिखने के लिए cassette को थोड़ा शोल्डर से उपर करते है |
Direction and centring of x-ray beam
Central ray को 30 डिग्री cranially angle देकर clavicle के मध्य बिंदु पर centre देते है | position of पेशेंट तथा beam angulation के कारण से clavicle को उसके निचे की ribs से अलग देख सकते है |
Essential image characteristics
İmage में sterno-clavicular और acromino-clavicular जॉइंट के सहित clavicle की पूरी लम्बाई पर्दर्शित होनी चाहिए | clavicle की पूरी लम्बाई के साथ clavicle का medial end thoracic cage से स्पस्ट दिखाई देनी चाहिए |
3. Sterno-Clavicular Postero-Anterior Oblique
Antero-posterior तथा postero-anterior projection में vertebral column superimposed(अध्यारोपित) हो जाती है जिससे sterno-clavicular जॉइंट स्पष्ट दिखाई नही देता है इसलिए sterno-clavicular जॉइंट को देखने के लिए oblique projection की आवश्यकता होती है | oblique projection को इस प्रकार चुनते है जिससे की जॉइंट space जितना हो सके उतना फिल्म के पास हो जाए तथा फिल्म के right angle पर हो | जिससे की दोनों साइड की तुलना की जा सके |
Position of patient and cassette
पेशेंट को cassette holder की तरफ मुंह करके खड़ा किया जाता है | पेशेंट को इस प्रकार rotate किया जाता है जिससे की पेशेंट का median sagittal plane cassette से 45 डिग्री angle पर हो जाए | sterno-clavicular जॉइंट cassette के नजदीक तथा मध्य में रहना चाहिए | exposure के दोरान पेशेंट को हिलने तथा श्वास लेने के लिए रोकते है |
Direction and centring of the x-ray beam
Horizontal central ray के centre को 4th thoracic vertebral के लेवल पर midline से 10cm दूर cassette की दूसरी साइड से देते है |
Essential image characteristics
Sterno-clavicular जॉइंट vertebral column से स्पष्ट दिखाई देना चाहिए |
नोट-: superimposed lungs की detail को पेशेंट की श्वास रोककर कम किया जा सकता है |
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