एक्सरे उत्पादन में एनर्जी का 1% से भी कम भाग एक्सरे में परिवर्तन होता हैं शेष 99% ऊर्जा ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती हैं | इतनी अधिक उत्पन्न ऊष्मा के कारण एक्सरे ट्यूब का जीवन सीमित होता हैं | एक्सरे ट्यूब फेलियर होने के कारणों को हम एक एक करके पढ़ेंगे-
NORMAL FILAMENT BURN OUT
एक्सरे ट्यूब में इलेक्ट्रान बीम की आपूर्ति फिलामेंट द्वारा की जाती हैं | यह फिलामेंट टंगस्टन या टंगस्टन में थोरियम, रेनियम डोप्पड़ करके बनाये | इस धातु को पतले तार के रूप में खींच लिया जाता हैं जिससे फिलामेंट बनता हैं | यह फिलामेंट फोकसिंग कप में लगा होता हैं | इलेक्ट्रान उत्सर्जन के लिए इसे 2600° तक गर्म किया जाता हैं जिससे थर्मीओनिक एमिशन से इलेक्ट्रान बाहर निकलते हैं | इतने उच्च तापमान पर फिलामेंट वाष्पित भी होता हैं | तापमान जितना अधिक होता हैं वाष्पीकरण भी उतना ही अधिक होता हैं | फिलामेंट लाइफ के लिए, तार द्रव्यमान के लगभग 10% की कमी को फिलामेंट लाइफ का अंत माना जाता है। यह तार व्यास में 5.13% की कमी को बताता है और यह माना जाता है की फिलामेंट ने अपने जीवन का लगभग 98% प्राप्त कर लिया है।
स्लो लीक(SLOW LEAK)
एक्स-रे ट्यूब को कार्य करने के लिए एक उच्च वैक्यूम की आवश्यकता होती है। ग्लास-टू-मेटल सील्स और मेटेलिक ब्रेज़्ड जोड़ उच्च ऊष्मा से लीक करने लग जाते हैं और जिनसे कभी-कभी गैस की बहुत थोड़ी मात्रा प्रवेश होना शुरू हो जाती हैं, यह गैस उच्च तापमान पर फैलती हैं जिससे ट्यूब में धीरे-धीरे गैस का दबाव बढ़ने लगता है | इससे एक्सरे ट्यूब मटेरियल का वाष्पीकरण बढ़ता हैं तथा हाई वोल्टेज आर्चिंग (Electric arc) हो ट्यूब फेलियर का कारण बनती हैं |
निष्क्रियता (IN-ACTIVITY)
जब एक्सरे ट्यूब काम नहीं आ रही होती हैं तो इसमें उपस्थित सूक्षम गैसेस सतह की और इकठ्ठी हो जाती हैं | जब फिलामेंट सक्रिय(Energized) होता है और उच्च वोल्टेज लगाया जाता है तो उच्च ऑपरेटिंग वोल्टेज पर हाई वोल्टेज आर्चिंग (Electric arcing) देखने को मिलता है। अधिकांश निर्माता इस निष्क्रिय समय अवधि के आधार पर एक्सरे ट्यूब स्टार्ट करने से पहले वार्म-अप प्रक्रिया की सलाह देते हैं।
आर्किंग(Arcing)
सभी उच्च वोल्टेज प्रणालियों में आर्किंग एक आम समस्या है। ऊपर कुछ कारणों का उल्लेख किया गया है: वैक्यूम में उच्च गैस का स्तर, इन्सुलेटर सतहों पर धातु के संचालन में वाष्पीकरण आदि उच्च गैस दबाव का उत्पादन करते हैं या उच्च वोल्टेज को बंद करने के लिए इन्सुलेटर की क्षमता को कम करते हैं। एक्सरे ट्यूब ऑपरेशन के दौरान छोटे इन्सुलेटर या धातु के कण मुक्त हो जाते हैं या ट्यूब के भीतर उत्पन्न हो सकते हैं ये इलेक्ट्रान बीम को आकर्षित करते हैं जो आर्क्स को ट्रिगर करते हैं।
लक्ष्य माइक्रो-क्रैकिंग(Target micro cracking)
जब ट्यूब को बिजली की आपूर्ति की जाती है, तो एक इलेक्ट्रॉन बीम टारगेट पर हमला करती है और इस टक्कर की सतह का तापमान तेजी से बढ़ता है। स्थिर एनोड ट्यूबों के लिए बिजली और तापमान अपेक्षाकृत कम होता है और एक मिनट के अंश के भीतर संतुलन तापमान(Equilibrium temperature) तक पहुँच जाता है। टंगस्टन टारगेट सतह आसानी से टंगस्टन (3400 डिग्री सेल्सियस) के पिघलने तापमान तक पहुँच सकती है, लेकिन यह लगभग 400 डिग्री सेल्सियस (750 फ़ारेनहाइट) तक सीमित है, इसलिए टंगस्टन डिस्क अपने तांबे के आधार से अलग नहीं होती हे। लक्ष्य की सतह पर तापमान बढ़ने से तनाव होता है जिसके परिणामस्वरूप लक्ष्य सतह पर सूक्षम क्रैकिंग हो सकती है। समय के साथ और चालू / बंद साइकलिंग से ये दरारें बढ़ती हैं और बीम में कुछ इलेक्ट्रॉन इन दरारों में गिर जाते हैं जिससे एक्स-रेडिएशन बदल जाता है। टंगस्टन दरारें से कुछ विकिरण को अवशोषित करता है और विकिरण की तीव्रता(Intensity) कम हो जाती है और एक्स-रे बीम हार्डर हो जाती है (उच्च ऊर्जा किरणें होती हैं)। कम शक्ति(low power) और कम लक्ष्य कोण(low tube angle) पर रनिंग ट्यूब इस प्रवृत्ति को कम करता है।
रोटेटिंग एनोड एक्सरे ट्यूब की पावर क्षमता स्टेशनरी एनोड एक्सरे ट्यूब से 1000 गुना अधिक हो है, अतः इनमे टारगेट माइक्रो-क्रैकिंग अधिक गंभीर होते है | रोटेटिंग एनोड ट्यूब में टारगेट फोकल स्पॉट का तापमान 2800 डिग्री सेल्सियस (5000 फ़ारेनहाइट से अधिक) तक पहुंच सकता है। कम-से-कम आवश्यक पावर को उपयोग करके माइक्रो-क्रैकिंग को कम किया जाता है, हाई पावर पर छोटे एक्सपोज़र के बजाय सबसे कम संभव फोकल स्पॉट और कम शक्ति पर लंबे समय तक एक्सपोज़र किये जाते हैं | ऐसे मानदंड स्टेशनरी एनोड ट्यूबों पर भी लागू होते हैं। माइक्रो-क्रैकिंग हीट ट्रांसफर को कम करता है जो फोकल स्पॉट के तापमान को बढ़ाता है जो ग्लास पर टंगस्टन टारगेट वाष्पीकरण को बढ़ाता है।
बियरिंग्स (Bearing)
रोटेटिंग एनोड बिअरिंग फ़ैल होने से ट्यूब फेलियर हो सकता हैं | सभी यांत्रिक प्रणालियां खराब हो जाती हैं और काम करना बंद कर देती हैं इसलिए लंबी उम्र हासिल करने के लिए इनका काम करना अतिआवश्यक हैं । उच्च तापमान और उच्च गति बिअरिंग की लाइफ को कम करते हैं । ऑपरेशन के साथ, स्नेहक(lubricant) (जो आमतौर पर चांदी या सीसा धातु होता है) बिअरिंग को जाम कर देता हैं |
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